नव वर्ष आ सिरुवा-जुड़शीतल पर्वक महत्व (मैथिलीमे)

यहाँ नयाँ वर्ष तथा सिरुवा जुडल सितल पर्वको बारेमा मैथिली भाषामा लेखिएको महत्त्वसहितको संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत गरिएकाे छ ।

मिति: २०२५-०४-१५ , समय : १०:३५:४५ , रबि शर्मा

तस्बिर : रबि शर्मा / गामघर टिभि

रबि शर्मा

हनुमाननगर । नववर्ष प्रत्येक वर्षक नवआगमनके प्रतीक छी। मैथिल समाजमे चैत्र महिनाक अन्तिम दिन आ बैसाख महिनाक प्रथम दिन “सिरुवा” वा “जुड़ शीतल” पर्व मनाओल जाइत अछि। ई पर्व केवल नववर्षक स्वागत नहि, बल्कि समृद्धि, शुद्धता आ प्रेमक उत्सव सेहो छी।
नव वर्ष आ सिरुवा-जुड़ शीतल पर्व

सिरुवा वा जुड़ शीतल पर्व बैसाख १ गते मनाओल जाइत अछि। ई नव वर्षक स्वागतक दिन छी। लोक एक-दोसर पर शीतल जल छींटिक आशीर्वाद दैत छथि।

ई पर्व शुद्धता, प्रेम आ मेल-जोलक प्रतीक छी। लोक अपन घर-आँगन साफ करैत छथि, नीम पात, आम पात संग जल चिआइत छथि। बुजुर्ग छोटका आशीर्वाद दैत छथि, मिठ पिठा-खीर बनैत अछि।

एहि दिन लोक पेड़-पौधा रोपैत छथि आ पर्यावरणके संरक्षण करैत छथि। ई पर्व समाजमे भाईचारा आ शान्ति लबैत अछि ।

सिरुवा जुड़ शीतल नव वर्षक शुभ सुरुआत छी, जे मिथिला संस्कृतिक एक खास पहचान छी।
सिरुवा वा जुड़ शीतल पर्वक महत्व:

1. पानीक शुद्धता आ आशीर्वादक प्रतीक:
ई दिन लोक एक-दोसरके जल छीटिकऽ आशीर्वाद दैत अछि। जल शीतलता, पवित्रता आ शुद्ध भावना केँ जनबैत अछि। ई परम्परा मनुक्खक क्रोध आ कटुता केँ धेने, अपनापन आ प्रेम प्रसारित करैत अछि।

2. पर्यावरण संग जुड़ाव:
जुड़ शीतल दिन लोक बगैचा, तुलसी स्थान आदि स्थानके साफ करैत छथि। आम, नीम, कदम्ब आदि पेड़-पौधाक रोपण होइत अछि, जे पर्यावरण रक्षा लेल महत्वपूर्ण अछि।


3. संस्कार आ परम्पराक संवाहक:
सिरुवा दिन लोक विशेष भोजन—पिठा, खीर, तरुआ आदि बनबैत छथि। बुजुर्ग अपन छोट-छोट संतान केँ आशीर्वाद दैत छथि। एहन संस्कार सँ समाजमे अपन माटिक गंध आ मूल्य सुरक्षित रहैत अछि।


4. समरसता आ मेलमिलापक प्रतीक:
ई पर्व समाजमे एकताक भावना पैद करैत अछि। धनी-गरीब, जात-पात, उमेरक भिन्नता भुला कऽ लोक एक-दोसरक घर जाइत छथि आ शुभकामना दैत छथि।


सिरुवा जुड़ शीतल केवल नववर्षक शुरुआत नहि, बल्कि अपन संस्कृति, परम्परा, आ सामाजिक समरसता केँ जीवित रखबाक एक अनुपम अवसर छी। मैथिल संस्कृति केँ ई पर्व गौरवशाली बनबैत अछि।

प्रकाशित मिति: २०२५-०४-१५ , समय : १०:३५:४५ , 2 weeks अगाडि

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